पता नहीं?..... अल्लाह ताला ने क्या सोचकर दुनिया बनायी हे, बचपन के ग़ुरबत के दिन, और अब के महीने के आखरी दिन सारे एक जैसे लगते हे. हमेशा जाने वाली इलेक्ट्रिसिटी का करंट फिर ज्यादा आने वाला बिल आज भी अम्मी के रातो की नींद गायब करता हे, नलके का पानी और ग़ुरबत की कहानी ऐसीही होती हे और होती होगी।
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Photo by Katsiaryna Endruszkiewicz on Unsplash |
जिंदगी
पता नहीं?..... अल्लाह ताला ने क्या सोचकर दुनिया बनायी हे, बचपन के ग़ुरबत के दिन, और अब के महीने के आखरी दिन सारे एक जैसे लगते हे. हमेशा जाने वाली इलेक्ट्रिसिटी का करंट फिर ज्यादा आने वाला बिल आज भी अम्मी के रातो की नींद गायब करता हे, नलके का पानी और ग़ुरबत की कहानी ऐसीही होती हे और होती होगी।
मुझे तो ऐसे ही लगता हे.
बार बार जेहन में आने वाले बुरे ख्याल और यूनिवर्सिटी का एडमिशन, पता नहीं क्या होगा ?
एक्साम्स हो अच्छे ही गए थे, मगर यूनिवर्सिटी वालो का भरोसा ही कहा हे, फ़ैल कर दे तो ?
नहीं फ़ैल तोह नहीं हूँगी में, स्कोर कुछ काम हो सकते हे..
लेकिन बुशरा के तो लास्ट ईयर में सप्लीमेंट्स ही नहीं चेक होइ थी, बेचारी को फ़ैल होना पड़ा था, मेरे साथ भी ऐसा ही होतो?
या, अल्लाह....
नहीं, पास तो हो जाउंगी में,
टेंशन नहीं लेनी हे मुझे, लेकिन क्या करू अम्मी खामखा दिल पे लगा के बैठी हे के यूनिवर्सिटी का एडमिशन हो..
अम्मी हो कैसे समजाउ?
इतना आसान थोड़ी न होता हे यूनिवर्सिटी का एडमिशन?
कितने होनहार स्टूडेंट्स होते हे वहां,
और वह भी अप्पर क्लास,
और एक पल के लिए मान भी लो की लिस्ट में नाम आ भी जाए,
तोह इतने पैसे तोह नहीं हे हमारे पास के एडमिशन करवाए यूनिवर्सिटी में...
में बड़ी हु, बाद में खुशबु और नजमा का भी तोह कॉलेज रहेगा,
सभी सेविंग मुझ पे ही खर्च कर देगी अम्मी, तोह छोटी बहनो के लिए क्या बचेगा। ..
और में अम्मी पे खामखा फिर से बोझ नहीं डालना चाहती,
कल बात करके देखूंगी अम्मीसे, शायद मान जाए...
To be continued.......
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